आरिफ़ नियाज़ी।
रुड़की के इमली रोड पर दलित समाज के उत्पीड़न और पलायन की सोशल मीडिया पर खबर चलने से हड़कंप मच गया जिससे पुलिस की नींद उड़ गई आनन फानन में मौके पर पहुंची सिविल लाईन कोतवाली पुलिस ने दलित समाज के परिवारों से पूछताछ की तो मामला ही दूसरा निकला जिसके बाद पुलिस ने राहत की सांस ली।
दरअसल सोशल मीडिया पर इमली रोड क्षेत्र में दलित समाज के पलायन की खबर वायरल होने के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। मामला सामने आते ही सिविल लाइन कोतवाली पुलिस हरकत में आई और पूरे प्रकरण की जांच शुरू कर दी।
जानकारी के अनुसार, इमली रोड पर दो पक्षों के बीच मामूली कहासुनी ने तूल पकड़ लिया था जिसकी तहरीर इमली रोड निवासी साजिद मालिक द्वारा सिविल लाइन कोतवाली में दी गई थी। तहरीर में शादाब कुरैशी पर आरोप लगाया गया कि उसने दलित समाज को पलायन के लिए मजबूर किया और उनके घरों पर मांस के टुकड़े फेंके।
सोशल मीडिया पर इस मामले को बढ़ा-चढ़ाकर दलित समाज के पलायन का रूप देकर वायरल कर दिया गया। खबर फैलते ही पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दलित समाज के लोगों से बयान दर्ज किए और पलायन की सत्यता की जांच की।
जांच के दौरान पुलिस को यह मामला पूरी तरह झूठा और बेबुनियाद मिला। दलित समाज के लोगों ने साफ कहा कि इमली रोड क्षेत्र में हिंदू-मुस्लिम आपसी भाईचारे, सौहार्द और प्यार-मोहब्बत के साथ शांति से रह रहे हैं। मुस्लिम समाज द्वारा कभी भी किसी तरह की परेशानी या दबाव नहीं डाला गया है। उन्होंने बताया कि यह सिर्फ दो व्यक्तियों का आपसी विवाद है, जिसे गलत तरीके से एक समुदाय से जोड़ दिया गया।
फिलहाल सिविल लाइन कोतवाली पुलिस पूरे प्रकरण की विवेचना में जुटी हुई है।
पुलिस ने अपील की है कि किसी भी तरह की अफवाह या भ्रामक सूचना फैलाने से पहले उसकी सत्यता की पुष्टि अवश्य करें, ताकि सामाजिक सौहार्द और शांति बनी रहे।





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