आरिफ नियाजी
उत्तराखंड में अरबी मदरसों को लेकर वक्फ बोर्ड अब सख्त नजर आ रहा है वक्फ बोर्ड अब ऐसे अरबी मदरसों को वक्फ बोर्ड में शरई दर्ज कराने की तैयारी में जुटा हैं जो कौम के चंदे से संचालित हो रहे हैं। वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स का मानना है की अगर मदरसे वक्फ बोर्ड में दर्ज होंगे तो वह और भी बेहतर तरीके से काम कर सकेंगे ।
उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड लगातार बेहतर से बेहतर कार्य करने की कोशिश में लगा हुआ है जिसके चलते अब ऐसे मदरसे जो कौम के चंदे के पैसे से संचालित रहे हैं ऐसे मदरसों पर अब वक्फ बोर्ड अपने यहां दर्ज कराएगा। शादाब शम्स ने कहा कि अल्लाह के नाम से लिए गए चंदे से चल रही संपत्ति शरण वक्फ होगी शरीयत भी यही कहती है की मजहब के नाम पर कौम के चंदे से मदरसे चल रहे हैं उलेमाओं को इस मामले में शरीयत को भी मानना चाहिए और अपने अपने अरबी मदरसे वक्फ बोर्ड में दर्ज कराएं अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह जल्द ही प्रदेश के सी एम से मिलकर इस बाबत पत्र देकर उनसे निवेदन करेंगे।
उन्होंने कहा की शरीयत भी यही कहती है की चंदा लेने वाली संस्थाएं वक्फ होनी चाहिए।उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि ऐसे मदरसों को लेकर सरकार को गंभीरता के साथ कड़ा निर्णय लेना चाहिए ताकि ऐसे लोगों का जल्द से जल्द गोरखधंधा बंद हो जो मदरसों के नाम पर मोटी रकम वसूलकर अपनी जेबों में भर रहे हैं। दरअसल नैनीताल के एक अवैध मदरसे में बड़े पैमाने पर खामियां सामने आने के बाद उत्तराखंड वक्फ बोर्ड भी अब ऐसे मदरसों के खिलाफ कार्यवाही की तैयारी में जुट चुका है ।
इतना ही नहीं उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग करते हुए कहा कि ऐसे सभी अरबी मदरसोंको वक्फ बोर्ड में दर्ज करा देना चाहिए जो कौम के चंदा लेकर संचालित हो रहे हैं उन्होंने बड़ी बेबाकी के साथ कहा कि शरीयत के एतबार से ऐसी संपत्ति रखने का अधिकार केवल वक्फ बोर्ड को है लेकिन आज कुछ लोग शरीयत पर भी नहीं चलते ।हालांकि उन्होंने यह भी कहा की ऐसे मदरसों की देखरेख वही लोग करेंगे जो पहले से उनका संचालन करते आए हैं।गौरतलब है कि हाल ही में नैनीताल के एक मदरसे की जांच में बड़े पैमाने पर प्रशासन की टीम को बड़े पैमाने पर खामियां मिली हैं
जिन्हे प्रशासन ने गंभीरता से लिया है अब उत्तराखंड वक्फ बोर्ड का प्रयास है की ऐसी दरगाह या अरबी मदरसों को वक्फ बोर्ड में शामिल किया जाए जो चंदे के पैसे से चल रहे हैं ताकि उनका लेखा जोखा और देखरेख भी वक्फ बोर्ड ठीक तरह से कर सके। शादाब शम्स पाकिस्तान से कलियर शरीफ पहुंचे जायरीनों को भागवत गीता और गंगा जल देने के मामले में भी काफी चर्चा में रह चुके हैं लेकिन इस बार उन्होंने साफ कर दिया की उनका यह निर्णय भी अडिग है जिस पर वह कायम रहेंगे।





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