दो दिन पहले मुख्यंमत्री तीरथ सिंह रावत के मीडिया सलाहकार बनाए गए दिनेश मानसेरा का आदेश आज बुधवार को निरस्त कर दिया गया है। मानसेरा के मीडिया सलाहकार बनते ही लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर उनके पुराने ट्वीट्स पोस्ट करने की एक होड़ सी लग गई थी। कुछ लोगों का कहना था कि ऐसे लोगों के होते हुए भाजपा को दुश्मनों की कोई जरूरत नहीं है। सोशल मीडिया पर बढ़ते इससे गुस्से के कारण तीरथ सरकार को मानसेरा को मीडिया सलाहकार के पद से हटाना पड़ा। आपको बता दें 17 मई को मानसेरा की नियुक्ति के आदेश हुए थे, जिन्हें दो दिन बाद आज निरस्त कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के मीडिया सलाहकार के रूप में पिछले 25 सालों से पत्रकारिता क्षेत्र में अलग-अलग अखबारों व टीवी मीडिया में काम कर चुके वरिष्ठ पत्रकार दिनेश मानसेरा को चुना गया, लेकिन वह तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने के बाद ही टीम तीरथ का हिस्सा बन चुके थे। जानकारी के मुताबिक दिनेश मानसेरा को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने करीब डेढ़ महीने पहले ही अपनी टीम का हिस्सा बना लिया था, सूचना विभाग की कार्यशैली में बदलाव, सूचना महानिदेशक मेहरबान सिंह का जाना, रणवीर सिंह चौहान का आना उसके बाद मुख्यमंत्री और पत्रकारों के बीच तालमेल को वरीयता, कोविड वैक्सीन का पत्रकारों को भी लगाना जैसे विषय तय करने में साथ ही कोविड प्रभावित पत्रकारों से सूचना महानिदेशक की दूरभाष पर बातचीत के सुझाव को भी मीडिया परिवार ने सराहा।
अब सवाल उठता है कि दिनेश मानसेरा की एंट्री तीरथ सिंह रावत की किचन कैबिनेट में एंट्री कैसे हुई, इसके कई पहलू है एक तो ये की तीरथ सिंह रावत, दिनेश मानसेरा को व्यक्तिगत रूप से पिछले 25 सालों से जानते थे, जब वे बीजेपी के कुमाऊं क्षेत्र के मीडिया प्रभारी थे, दूसरा संघ परिवार के दरवाजे से उनकी एंट्री हुई, खबर ये भी थी कि दिनेश मानसेरा की एंट्री त्रिवेन्द्र सरकार के समय ही हो जानी चाहिए थी, परंतु उस दौरान दिल्ली हाई कमान से अचानक रमेश भट्ट की एंट्री हो गयी और दिनेश मानसेरा का नाम एक किनारे रख दिया गया, दिनेश मानसेरा बेशक एनडीटीवी में अपना करियर संभाले हुए थे, लेकिन अपनी विचारधारा को अपने प्रोफेशन में कभी हावी नही होने दिया। वे ख़बर को ख़बर की तरह देखते रहे और यही वजह थी कि उन्होंने पत्रकारिता में अपना नाम और साख को बनाये रखा। मानसेरा स्वतंत्र रूप से राष्ट्रवादी लेखन भी करते रहे। पांचजन्य और अन्य पत्रों में वो बेबाक लिखते रहे, साथ ही सोशल मीडिया में सहीं को सही गलत को गलत कहने में हमेशा आगे रहे ।

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